इजराइल और ईरान के बीच जंग जारी है. अब ईरान ने विदेशी नागरिकों को देश छोड़ने की मंजूरी दे दी है. लैंड बॉर्डर खोल दिए गए हैं. इजराइल से हवाई जंग के बीच हवाई अड्डे बंद हैं. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान में करीब 10 हजार भारतीय फंसे हुए हैं. भारत उन्हें वहां से निकालने की कोशिश में है. भारत ईरान का पड़ोसी देश नहीं है. ऐसे में सवाल है कि अगर कोई इंसान भारत से ईरान जाता है तो उसे कितने देशों से गुजरना होगा.

भारत से ईरान के बीच 2800 किलोमीटर की दूरी है. भारत से ईरान जाते समय किन-किन देशों से गुजरना पड़ेगा, यह इस बात पर निर्भर है कि जाने के लिए कौन सा रूट चुना जा रहा है. अगर सड़क मार्ग चुना जा रहा है तो पाकिस्तान से होकर गुजरना पड़ेगा. इसके बाद ही ईरान में एंट्री ले पाएंगे. फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में हैं. इसलिए यह रूट संभव नहीं है.

दूसरा रूट है, समुद्री रास्ता. भारत से ईरान जाने के लिए समुद्री मार्ग को व्यवहारिक और सुरक्षित माना जाता है. इस रूट के लिए मुंबई कांडला या मुंबई पोर्ट से अरब सागर होते हुए ओमान के पास से गुजरना पड़ेगा. इस रूट में भारत से सीधे ईरान पहुंच सकते हैं और रास्ते में कोई देश नहीं पड़ता है. समुद्री रास्ते से ईरान के चाबहार पोर्ट या बंदर अब्बास से इस देश में एंट्री पा सकते हैं.

ईरान का चाहबार पोर्ट क्यों अहम है, अब इसे भी जान लीजिए. भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट को विकसित किया है. खास बात है कि यह पोर्ट भारत को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से जोड़ता है. इस पोर्ट के कारण पाकिस्तान को बायपास करने का विकल्प मिलता है. यही वजह है कि यह पोर्ट महत्वपूर्ण है.

भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने सम्बंध हैं. भारत में सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरें फारस घाटी की सभ्यता में भी मिली हैं. ईरान और भारतीय आर्यों की सांस्कृतिक और धार्मिक सभ्यता में काफी समानताएं रही हैं. हिन्दुस्तान की आजादी के बाद 15 मार्च, 1950 को भारत और ईरान के राजनयिक सम्बंध बने, जो जारी हैं. इस्लामिक क्रांति के दौरान दोनों देशों के सम्बंधों में कटुता आई थी, लेकिन बाद में सुधार हुआ और वो सम्बंध बेहतर स्थिति में हैं.