रमजान का चांद सबसे पहले कहां दिखता है? इसका जवाब सऊदी अरब है और रोजा रखने वाले अधिकांश मुसलमान इसे जानते भी हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में रमजान के विधिवत शुरू होने में कम से कम 3 दिन का समय लग जाता है. उदाहरण के लिए सऊदी अरब में अगर 28 फरवरी की शाम को रमजान का चांद दिखता है तो भारत में उसके अगले दिन से इसे मनाने की घोषणा की जाती है.
इसी तरह इंडोनेशिया में सऊदी के 3 दिन बाद विधिवत रूप से रमजान की घोषणा की जाती है. दरअसल, यह चांद के निकलने और संबंधित देश में दिखने की वजह से यह होता है.
रमजान की घोषणा कैसे होती है?
रमजान इस्लामी पंचांग का नौवां महीना है और इस्लाम में इसे सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस्लाम का पूरा चक्र सूर्य की वजाय चंद्रमा के गति पर निर्भर करता है. यही वजह है कि रमजान की घोषणा चांद देखने के बाद ही किया जाता है.
इस्लामिक कैलेंडर में एक महीना करीब 29 दिनों का होता है और एक साल करीब 355 दिनों का. यह ग्रेगोरियन के कैलेंडर से काफी अलग है, जहां 365 दिनों का एक साल होता है. इस्लामिक कैंलेडर में फेरबदल की वजह से रमजान का महीना हर बार अलग-अलग समय पर पड़ता है.
रमजान की घोषणा मुख्यत: तीन बातों पर निर्भर करती है. इन्हीं तीन बातों की वजह से रमजान की घोषणा किसी देश में पहले तो किसी देश में बाद में की जाती है.
1. रमजान का चांद स्थानीय स्तर पर देखा जाता है. सभी देश के लोग कमेटी के जरिए इस चांद को देखते हैं. रमजान के चांद को अर्द्धचंद्र कहा जाता है. यानी अमावस्या के बाद जब चांद पूर्णिमा की तरफ बढ़े. यह चांद सूर्य के ढलने के तुरंत ही बाद दिखता है. कई बार मिस हो जाता है. चांद नहीं दिखने की स्थिति में रमजान महीने की घोषणा नहीं की जाती है.
2. इस्लाम मुख्यत: दो भागों में विभाजित है. एक शिया और दूसरा सुन्नी. शिया और सुन्नी बहुल देश अपने-अपने हिसाब से चांद देखकर रमजान महीने की घोषणा करता है. दोनों ही समुदाय के जिम्मेदार लोग चांद को देखने के लिए काफी मेहनत करते हैं.
3. रमजान का रोजा कब से शुरू होगा, यह परिवारिक नेटवर्क पर भी निर्भर है. सीएनएन से बात करते हुए दक्षिण एशियाई अध्ययन विभाग के प्रोफेसर स्कॉट कुगले कहते हैं- उत्तरी अमेरिका में रहने वाले लोग जिनके परिवार भारत या पाकिस्तान में रहते हैं. वे उत्तरी अमेरिका में तब रोजा रखना शुरू कर सकते हैं, जब पाकिस्तान या भारत में उनके परिवार वाले रोजा रखना शुरू कर दें.
रमजान में चांद का विज्ञान
चांद पहले या बाद में कब दिखेगा, यह चार फैक्टर पर निर्भर है. एक अक्षांश फैक्टर. जो देश भू्मध्य रेखा के करीब है, वहां 12 घंटे में दिन और रात का परिवर्तन होता है. वहां जल्द ही चांद के दिखने की गुंजाइश है. इसी तरह मौसम का भी असर होता है.
अगर बादल या बारिश का मौसम है तो चांद नहीं दिख सकता है. ऐसे में उन देशों को अपने यहां रमजान की घोषणा अन्य देशों की तुलना में बाद में करनी पड़ती है. इतना ही नहीं, अक्षांश रेखा के करीब वाले देश के लोगों को सिर्फ 12 घंटे तक ही रोजा रखना होता है.
उससे दूर वाले लोगों के समय में बदलाव होता है. ओस्लो के लोगों को सबसे ज्यादा करीब 16 घंटे तक रोजा रखना पड़ता है.