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तुर्की से टेंशन के बीच साइप्रस भारत के लिए क्यों जरूरी? 5 बड़ी बातें

Posted on June 25, 2025

पीएम मोदी साइप्रस में हैं. यह वो देश है जो साल 1974 में तुर्किए के हमले के बाद दो हिस्सों में बंट गया. एक हिस्से पर तुर्किए-साइप्रस सरकार और दक्षिणी दो तिहाई हिस्से पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त ग्रीक साइप्रस सरकार शासन करती है. पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्किए की यहां मौजूदगी भारतीय पीएम के साइप्रस दौरे को महत्वपूर्ण बना देती है. भारत और साइप्रस के सम्बंध कैसे हैं, यह इससे समझा जा सकता है कि राष्ट्रपति निकोस ने पीएम मोदी को देश के सबसे बड़े सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारिओस III’ से सम्मानित किया है.

पिछले 23 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली साइप्रस यात्रा है. इससे पहले 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी यहां पहुंचे थे. ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरान तुर्किए-पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती का मुकाबला करने के लिए एक महत्पूर्ण कदम के तौर पर देखा जा रहा है.साइप्रस ने हमेशा से ही भारत का समर्थन किया है. फिर चाहें कश्मीर का मुद्दा हो या फिर आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख. जानिए, साइप्रस भारत के लिए क्यों जरूरी है.

तुर्किए से टेंशन के बीच साइप्रस भारत के लिए क्यों जरूरी? 5 बड़ी बातें

1- तुर्किए के खिलाफ कूटनीतिक बैलेंस

साइप्रस तुर्किए से उलझा हुआ देश है, खासकर उत्तरी साइप्रस पर तुर्किए के कब्जे को लेकर. साइप्रस का तुर्किए से पुराना संघर्ष रहा है, जो 1974 के तुर्किए आक्रमण के बाद विभाजन की वजह बना.दोनों के बीच सम्बंधों में खटास है. तुर्किए लगताार कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी बयान देता रहा है और पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य और रणनीतिक गठजोड़ को बढ़ाता रहा है. वहीं, साइप्रस का रुख हमेशा से ही भारत के पक्ष में रहा है. ऐसे में भारत-साइप्रस के मजबूत होते सम्बंधों को तुर्किए के खिलाफ कूटनीतिक बैलेंस के दौर पर देखा जा रहा है. इसके साथ ही ग्लोबल ट्रेड की संभावनानाओं के लिए भी यह दौरा बहुत अहम है.

2- भारत के लिए यूरोप का गेटवे

साइप्रस को भूमध्यसागर और यूरोप में प्रवेश का गेटवे कहा जाता है. यह सीरिया और तुर्किए के करीब है. भौगोलिक रूप से एशिया में होने के बावजूद इसे यूरोपीय संघ के सदस्य के रूप में दर्जा मिला हुआ है. यही वजह है कि यूरोप के साथ संपर्क बनाने में भारत के लिए यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. साइप्रस भारत के लिए व्यापार, निवेश और रणनीतिक संवाद के तौर पर भी अहम है. EU के साथ FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) की संभावनाओं में साइप्रस भारत के लिए मददगार हो सकता है.

3- निवेश का हब

साइप्रस भारत के लिए निवेश का हब रहा है. कई भारतीय कंपनियों ने साइप्रस के जरिए यूरोप और पश्चिम एशिया में निवेश किया है. आर्थिक और कानूनी रूप से सुरक्षित निवेश हब के तौर पर यह भारत के लिए हमेशा से ही फायदेमंद रहा है. PM के दौरे ने इसे और मजबूत किया है. यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने ट्रेड प्रोग्राम में आर्थिक संबंधों को गहरा करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. कहा, जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, और साइप्रस के व्यवसायियों को एनर्जी, टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया.

4- इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर में मजबूती

साइप्रस उस कॉरिडोर का हिस्सा है जो भारत को यूरोप से जोड़ेगा और भारत इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप गलियारे (IMEC) के माध्यम से पूर्व-पश्चिम संपर्क को मजबूत करेगा. प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का उद्देश्य साइप्रस को इस रणनीतिक आर्थिक गलियारे में और अधिक मजबूती से जोड़ना है. इसके साथ ही यूरोपीय संघ के सदस्य के रूप में साइप्रस, ब्लॉक में भारत के हितों की वकालत करने में अहम भूमिका निभा सकता है.

5- भूमध्यसागर में तेल-गैस संसाधनों की संभावनाएं

साइप्रस भूमध्यसागर में है, जहां गैस-तेल संसाधन की संभावनाए हैं. साइप्रस की भौगोलिक स्थिति भारत को मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच एक स्थिर सहयोगी दे सकती है. अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में भारत की रुचि साइप्रस को ऊर्जा साझेदारी के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है.

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